देवभूमि और बिहार के हालात कुछ एक जैसे ही हैं। देव भूमि में कुदरत का कहर बरप रहा है तो बिहार में मानवजनित राजनीतिक कहर। दोनों ही जगहों पर समस्याएं अपनी पराकास्ठा को पार कर गईं हैं। देवभूमि की बाढ़ अगर दर्दनाक है तो बिहार की राजनीति वहां के लिए नासूर है। दोनों ही जगहों पर संतुलन हमें और आप को ही बैठाना है। पर्यावरण का संरक्षण और राजनीति का षुद्धीकरण हम आप नौजवानों के ही हाथ में है। सोचें और दोनों समस्याओं पर विचार कर फेसला करें तो षायद हम देष को बचा सकें।
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